💫 बारिश पूरे गाँव में उतर चुकी थी
गलियों में कीचड़ और छतों पर टपकती बूंदें। पुरानी हवेली की दीवारें भी आज कुछ और बोलती लग रही थीं।
बिजली कभी आती, कभी चली जाती। ऐसे में मैं अकेला ही मामी के घर कुछ देने गया था। लेकिन जो पल वहाँ मेरा इंतज़ार कर रहा था, वो मेरी कल्पना से कहीं ज़्यादा था —
मामी, भीगी हुई साड़ी में, बाल बिखरे हुए और पीठ पर खुली blouse dori… कमरे की नमी और उनकी आंखों की गर्माहट कुछ कह रही थी…
🔥 कहानी
मामी हमेशा से ही मेरी नज़रों में कुछ अलग थीं — ना ज़्यादा बोलतीं, ना ही किसी से मिलती-जुलतीं। लेकिन उस दिन जैसे बारिश ने उन्हें भीगी यादों की परतों में खोल दिया था।
मैंने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया, मामी ने अंदर से आवाज़ दी — “दरवाज़ा खुला है।”
भीतर जाते ही ठंडी हवा और गीली लकड़ियों की महक ने मुझे जकड़ लिया। मामी कमरे के कोने में खड़ी थीं, बालों से पानी टपक रहा था।
उनकी साड़ी कमर से कुछ ऊपर चढ़ चुकी थी, revealing the tight petticoat जो बारिश में पूरी तरह भीग चुका था।
“अरे, तुम इस मौसम में?” मामी ने पूछा, पर उनकी आवाज़ में वो पुरानी गर्माहट नहीं थी — कुछ और था, कुछ अधूरा।
“बस… आपको दवाई देने आया था,” मैंने जवाब दिया।
उनके हाथों में तौलिया था, जो वो अपने बालों में मरोड़ रहीं थीं। blouse की डोरी खुली हुई थी — या शायद जानबूझकर नहीं बाँधी गई थी।
उस छोटे से कमरे में सिर्फ़ पंखे की आवाज़ और बाहर बारिश की बूँदें थीं — और हमारी साँसों की हलचल।
“तुम भीग गए हो,” उन्होंने धीरे से कहा और अलमारी से एक तौलिया निकाला।
जैसे ही उन्होंने मेरे पास आकर तौलिया थमाया, उनका हाथ मेरी उंगलियों से टकराया — हल्का कंपन… एक सिसकी उनके होंठों से निकली, और मेरी रूह तक उतर गई।
मैंने हिम्मत करके उनकी ओर देखा — उनकी आँखें झुकी हुई थीं, पर उनमें कुछ था जो रुकना नहीं चाहता था।
“मामी, आपकी… ये डोरी…” मैंने हौले से कहा।
वो थोड़ी सी पलटीं, पीठ मेरी तरफ की। उनकी blouse dori ढीली थी, और हवा से हिल रही थी।
“बांध दोगे?” उन्होंने धीमे से पूछा।
मैंने काँपते हाथों से डोरी पकड़ी। उनकी पीठ पर बूंदें थीं, जैसे बारिश अब भी वहाँ गिर रही हो।
डोरी बाँधते समय मेरी उंगलियों ने उनकी पीठ की गर्माहट को महसूस किया — वो गर्मी जो कमरे की ठंड को भुला दे।
एक हल्की फुसफुसाहट — “धीरे…” — और फिर silence।
कमरे में बस furniture की धीमी सी आवाज़ थी — charpai sound जो उस पल को और गहरा बना रही थी।
मैंने उनकी साड़ी की सिलवटें देखीं — tight petticoat से चिपकी हुई। हर fold एक नई कहानी कह रही थी।
हम दोनों वहीं रुके रहे — ना कुछ ज़्यादा, ना कुछ कम। सिर्फ़ आँखों से बातें होती रहीं।
💓 क्लाइमेक्स
हम कुछ देर वैसे ही खड़े रहे — सांसें उलझती रहीं, और बारिश जैसे अंदर तक भीग गई।
मामी ने मेरी ओर देखा, जैसे कुछ कहने को थीं… पर कह नहीं सकीं।
शायद ये शुरुआत थी, या शायद आखिरी मुलाक़ात… लेकिन जो अधूरा रह गया, वो अब हमेशा मेरे साथ रहेगा।
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