गर्मी की छुट्टियाँ थीं और मैं अपने नानी के गाँव आया था – एक ऐसा गाँव जहां वक्त थमा हुआ लगता है। लेकिन जो चीज़ सबसे ज़्यादा ध्यान खींचती थी, वो थी मेरी पados wali aunty – Kamla. उम्र करीब 38, लेकिन चाल-ढाल में एक अलग ही नज़ाकत थी। हर सुबह जब वो cotton saree में पानी भरने आती थीं, उनका पल्लू, उनका अंदाज़ – सबकुछ hypnotic लगता था।
Wo Aankhon Wali Baat
जब पहली बार हमारी नज़रें मिलीं, तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा – “Shahar se aaye ho? Bade badal gaye ho…”
उनकी आंखों में कुछ था – न मां जैसा अपनापन, न भाभी जैसा लिहाज़… कुछ और ही था। शायद एक silent invitation, जिसे मैं समझ तो रहा था, पर बोल नहीं पा रहा था।
Ek Raat Ki Woh Khaamoshi
उस रात बिजली चली गई। पूरा गाँव अंधेरे में डूबा हुआ था। मैं छत पर लेटा था, और तभी दरवाज़े पर धीमी सी दस्तक हुई। Kamla aunty थीं।
“Mujhe matchbox chahiye tha,” उन्होंने कहा… लेकिन उनके हाथ में already माचिस थी।
मैंने पूछा, “Toh aayi क्यों?”
वो मुस्कुराईं – “Kabhi kabhi wajah se zyada waqt ka bahana hota hai…”
Pallu, Petticoat aur Uski Saans
वो कमरे में आ गईं। लालटेन की हल्की रौशनी में उनके पल्लू की परछाई मेरी आँखों को कैद कर रही थी। उनका tight blouse, cotton petticoat से हल्का झांकता हुआ हिस्सा, और वो धीमी सांसें – सब मिलकर एक perfect rural fantasy बना रहे थे।
“Meri kamar mein dard hai,” उन्होंने कहा। “Zara dabaa doge kya?”
मैंने हाथ रखा। उनकी पीठ गर्म थी, लेकिन कंपकंपी उनके बदन में थी या मेरी उंगलियों में – ये समझ नहीं आ रहा था।
Jab Har Khaamoshi Bol Uthi
वो धीरे से पलटीं और मेरा हाथ पकड़ लिया।
“Tu ab bachcha nahi raha, Ravi,” उन्होंने पहली बार मेरा नाम लिया – वो भी उस अंदाज़ में जो कभी किसी और ने नहीं लिया था।
पल्लू अब सिर्फ एक कपड़ा नहीं था – वो एक रोक थी, जो अब खुद हट चुकी थी। और जब उनके blouse की डोरी खुली, तो मैं समझ गया – **gaon ki pados aunty ab sirf aunty nahi rahi.**
Next Morning – Uski Muskaan Sab Keh Gayi
सुबह उन्होंने सिर्फ इतना कहा – “Kal ki baat kisi se kehna mat.”
मैंने कहा – “Kisi ko kya bataaun, jab sab kuch aankhon mein tha.”
वो मुस्कराईं और चली गईं – लेकिन **वो रात, वो नज़रों की भाषा**, और उनका **पल्लू वाला जादू**, हमेशा के लिए मेरी यादों में बस गया।